हिमाचल प्रदेश का सैर उत्सव –कृषि और आस्था का मिलन

हिमाचल प्रदेश, जहाँ पर्वतीय सौंदर्य के साथ-साथ लोक संस्कृति की गहराई भी बसी है। यहाँ के लोग अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को बहुत गर्व से निभाते हैं। ऐसा ही अनूठा त्यौहार है सैर उत्सव, जो हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्र विशेष रूप से कुल्लू, मंडी, सोलन, सिरमौर, शिमला आदि जिलों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

यह त्यौहार मुख्य रूप से नई फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है। सैर उत्सव से एक दिन पहले रात्रि में पूजा स्थल पर सैर सजाई जाती है। इसमें खीरा, मक्का, धान, गलगल, चावल, अखरोट सहित विभिन्न फसलें रखी जाती हैं। इसके साथ ही क्षेत्र विशेष में जो भी नई फसल होती है, उसे अपने इष्ट देवता को अर्पित किया जाता है। अगले दिन सुबह सैर की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और फिर उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। लोग  अपनी फसल  को ईश्वर के चरणों में अर्पित करके आभार व्यक्त करते हैं।

सैर उत्सव केवल कृषि का उत्सव नहीं, बल्कि यह सामूहिक प्रार्थना का पर्व भी है, जिसमें सभी ग्रामीण सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करते हैं। इस दिन बच्चे अखरोट खेलते हैं, लोग अपने रिश्तेदारों और आसपड़ोस में पकवान बांटते हैं तथा एकदूसरे के भविष्य की मंगल कामना करते हैं । सभी ग्रामीण अपने इष्ट देवता से सुख, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं। और इस दिन ग्रामीण एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक पकवान और अखरोट बाँटते हैं। इस दिन बच्चे अखरोट खेलते हैं ।

सैर उत्सव हिमाचल प्रदेश के सबसे प्रमुख और रंगीन त्योहारों में से एक है, जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों, लोक गीतों, नृत्यों और मेलों के साथ मनाया जाता है।यह पर्व न केवल कृषि का उत्सव है, बल्कि सामाजिक एकता और परंपरा को मजबूत करने का भी संदेश देता है। आइए, हम सब मिलकर इसे गर्व से मनाएं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाएं।

Best Compliments -HEATS

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